Monday, 3 March 2014

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कम्प्यूटर ऑपरेटर्स 100 रुपए प्रति दिन की पगार पर



सरकारी महखमों ने हवा में  उड़ाए श्रम विभाग के नियम

कोटा  3 मार्च (लोकेश पोटर ) सरकार पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने के कितने ही दावे करे लेकिन सरकारी विभागों में ही इनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इसकी बानगी सरकारी कार्यालयों में देखने को मिल रही है, जहां कम्प्यूटर ऑपरेटर के तौर पर नियुक्त शिक्षित युवाओं को तो महज 3 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं,  जबकि सफाई सहित अन्य कार्यों में बीट्स पर लगाए गए कार्मिकों को 45 सौ रुपए प्रतिमाह से भी ज्यादा का भुगतान किया जा रहा है। मजेदार बात यह है कि इस कारगुजारी में निगम प्रशासन राज्य सरकार के आदेशों की ही तौहीन करने में जुटा है। दरअसल श्रम विभाग ने सितम्बर 2013 को ही एक अधिसूचना निकाल दी थी जिसमें न्यूनतम मजदूरी को नए सिरे से निर्धारित किया गया था। इस आदेश में उच्च कुशल श्रेणी में आने वाले कम्प्यूटर ऑपरेटर्स को शामिल करते हुए उनकी न्यूनतम मजदूरी 269 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 6734 रुपए प्रतिमाह तय की थी। इसे एक जनवरी 2014 से लागू भी कर दिया गया लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी नगर निगम प्रशासन इन ऑपरेटर्स की मजदूरी को श्रम विभाग के निर्देशों के अनुसार लागू नहीं कर रहा है।
इन शिक्षित युवाओं के साथ सबसे बड़ा मजाक यह हो रहा है कि उच्च कुशल श्रेणी में तो आज भी  महज 3 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से भुगतान किया जा  रहा है, जबकि बीट्स पर लगाए गए कर्मचारियों को 4500 रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं।
दो महीने बीतने के बाद भी नए प्रावधानों के हिसाब से वेतन नहीं मिलने से परेशान निगम के कम्प्यूटर ऑपरेटर्स ने उनके वेतन में बढ़ोत्तरी की जाने की माँग की थी लेकिन अभी तक भी इस पर कोई निर्णय निगम प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है।

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