पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री भुवनेश चतुर्वेदी पंचतत्व में विलीन
कोटा, 3 मार्च (डॉ. प्रभात कुमार सिंघल)। लंबी सफल राजनैतिक यात्रा पूर्ण कर पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री भुवनेश चतुर्वेदी पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके भतीजे मनीष ने उन्हें मुखाग्रि दी। अपार जनसमूह की उपस्थिति में नम आंखों से उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर कोटा जंक्शन क्षेत्र स्थित शमशान घाट पर किया गया। शवयात्रा जब शमशान घाट पहुंची तो राज्य की राज्यपाल श्रीमती मार्गेट अल्वा एवं मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की ओर से पुलिस महानिरीक्षक गोविन्द गुप्ता, संभागीय आयुक्त अश्विनी भगत तथा जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने दिवंगत नेता चतुर्वेदी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रृद्धांजलि दी। दिवंगत चतुर्वेदी की शवयात्रा दोपहर 12 बजे उनके निजी आवास से रवाना हुई। इससे पूर्व चतुर्वेदी के पार्थिव शरीर पर पूर्व मंत्री शांति कुमार धारीवाल, रामकिशन वर्मा, भरत सिंह, विधायक भवानी सिंह राजावत, महापौर डॉ. रत्ना जैन, उपमहापौर राकेश सोरल, प्रदेश कांग्रेस महासचिव पंकज मेहता सहित डॉ. इकराम खान, डॉ. जफर मोह मद, ईश्वर लाल साहू, अशोक जैन आदि प्रमुख व्यक्तियों ने पुष्पाजंलि अर्पित की। शहर के वकील, समाजसेवी, शिक्षाविद एवं पत्रकारों, उनके परिजन सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे और दिवंगत आत्मा को अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की। उनके शुभचिंतकों में अनेक मित्रगण भी उपस्थित थे। स्वर्गीय चतुर्वेदी विगत कुछ दिनों से बीमार थे और एक निजी चिकित्सालय में उनका उपचार चल रहा था, जहां उन्होंने रविवार की सांय 6.30 अंतिम सांस ली। भुवनेश चतुर्वेदी ने अपने छात्र जीवन से स पूर्ण राजनैतिक काल में न केवल कोटा के विकास के लिए ऐतिहासिक कार्य किए, वरन् देश में कोटा का नाम ऊंचा भी किया। उन्होंने रूस, चीन जापान,जर्मनी, अमेरीका, इराक, ईरान सहित आदि देशों में करीब 100 से अधिक विदेश यात्रा कर कोटा का नाम विदेशों में पहुंचाया। यही नहीं उन्होंने 16 बार यूएनओ में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी.वी.नरसिंह राव के शासनकाल में वे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री के रूप में रहे। कोटा को बी-2 श्रेणी का दर्जा दिलाने, राजस्थान परमाणु बिजलीघर की महत्वाकांक्षी विस्तार योजना के लिए, कोटा को नगर निगम बनवाने,कोटा में तकनीकी विश्वविद्यालय और कोटा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना करवाने, अपने मंत्रीत्वकाल में कोटा में निजी हवाई सेवा शुरू करवाने, युवा रंगकर्मियों के लिए कला-दीर्घा की स्थापना,कोटा थर्मल इकाई की प्रथम इकाई को स्वीकृत करवाने, रेलवे स्टेशन तथा ढकनिया रेलवे स्टेशन का विस्तार करने तथा हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण करने जैसे आदि कार्यों के लिए स्वर्गीय चतुर्वेदी के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।जीवन परिचय:
स्वर्गीय भुवनेश चतुर्वेदी सर्वप्रिय, सुलभ, सहज एवं अपनी वाकपटुता के लिए जाने जाते थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी चतुर्वेदी ने अपने छात्र जीवन से ही सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की। उन्होंने छात्रनेता, अधिवक्ता, पत्रकार और राजनेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई। उनका जन्म 2 मई, 1928 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मैनपुरी कस्बे में हुआ था। बाल्यावस्था में ही उनके पिता कोटा आ गए और तबसे उनका स पूर्ण जीवन कोटा में व्यतीत हुआ। उन्होंने हर्बट कॉलेज (वर्तमान राजकीय महाविद्यालय) से एम.ए. कर एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की। वे 1952 में राजकीय महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने 1972 में कोटा विधानसभा सीट से निर्वाचन में जनसंघ के कृष्ण कुमार गोयल को पराजित किया और विधायक बने। वर्ष 1977 में वे पुन: चुनाव लड़े परंतु इस चुनाव में वे विजय प्राप्त नहीं कर सके। वर्ष 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनकी कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए राज्यसभा में मनोनित किया, तबसे वे लगातार तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे। इसअवधि सांसद के रूप में उन्होंने अपनी साख बनाई और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक संधियों और समझौतों का आधार तैयार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1991 में पी.वी.नरसिंहराव के प्रधानमंत्री बनने पर राव ने उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री नियुक्त किया।
चतुर्वेदी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हितकारी शिक्षा समिति के माध्यम से दो विद्यालयों का संचालन किया। कृष्णा मेनन की विचारधारा से प्रभावित होने के कारण वे समय-समय पर कृष्णा मेनन स्मृति व्या यानमाला का आयोजन भी करते रहे। शिक्षा और इस व्या यानमाला के प्रति उनके समर्पण का ही कारण रहा कि उनके कार्यक्रमों में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर लाल शर्मा,आर.वेंकटरमन, के.आर.नारायणन, पी.वी.नरसिंहराव, पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील, पूर्व वित्तमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सहित अनेक प्रमुख हस्तियों को कोटा लाकर न केवल विद्यालय के छात्राओं मनोबल बढ़ाया बल्कि कोटा का गौरव भी बढ़ाया।
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