अवधि पूरी, नहीं मिली मंजूरी
बारां।कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को पोषण की दोगुनी खुराक देने की आवश्यकता है, लेकिन यह सिलसिला आगे जारी रहेगा या नहीं, जिले में इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के स्थानीय अधिकारी दोगुना पोषाहार देने की व्यवस्था जारी रखने के पक्ष में है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशालय भेज दिए गए हंै। यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर मौजूद अतिरिक्त पोषाहार स्टॉक से दोगुना पोषाहार का यथावत वितरण किया जा रहा है। इस व्यवस्था से करीब 19 हजार बच्चे व गर्भवती, धात्री माताएं एवं किशोरी बालिकाएं लाभांवित हो रही है।
ऎसे हुई थी शुरूआत
वर्ष 2012 के अंतिम कुछ महीनों में जिले में कुपोषण से आदिवासी सहरिया जनजाति के बच्चों की मृत्यु के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार के प्रमुख शासन सचिव समेत विभिन्न विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी किशनगंज-शाहाबाद क्षेत्र में पहुंचे थे। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आदेश जारी फरवरी 2013 तक के लिए यह व्यवस्था शुरू की थी। इसके बाद पुन: अवधि बढ़ाकर इसे फरवरी 2014 तक कर दिया गया था।
यह अवधि समाप्त होने के बाद इस व्यवस्था को जारी रखने अथवा बंद करने को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं किया गया है।
इनकी खुराक पर भी संकट!
जिले के आदिवासी सहरिया क्षेत्र में एनिमिक (खून की कमी) बच्चों के पैदा होने तथा उनके जन्म से ही एनिमिक रहने के कारण कुपोषण की चपेट में आने का अंदेशा रहता है। सहरिया जनजाति की महिलाओं में भी खून की कमी रहने के मामले सामने आते रहे हैं।
ऎसे ही हालातों को देखते हुए सरकार की ओर से सहरिया परिवारों की गर्भवती धात्री माताओं को दोगुनी मात्रा पोषाहार उपलब्ध कराने की व्यवस्था लागू की थी। इसके अलावा में व किशोरी बालिकाओं को सिंगल मात्रा में पोषाहार देने की व्यवस्था थी। पूर्व में एक केन्द्र पर दो किशोरी बालिकाओं के लिए यह व्यवस्था थी।
भेज रखे हंै प्रस्ताव
जिले में कुपोषित, अतिकुपोषित बच्चों, गर्भवती धात्री महिलाओं को दोगुना व किशोरी बालिकाओं को फरवरी 2014 तक ही पोषाहार वितरण किए जाने के आदेश थे, लेकिन अभी भी इस व्यवस्था को बंद नहीं किया गया है। इसकी अवधि बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजे हुए हंै।
रामदयाल मीणाउपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास
फैक्ट फाइल
इन्हें मिल रहा है लाभ
छह माह से 3 वर्ष के बच्चे कुपोषित अतिकुपोषित 8192
तीन वर्ष से 6 वर्ष के बच्चे कुपोषित अतिकुपोषित 5383
गर्भवती धात्रीमाता व सहरिया किशोरी बालिकाएं 5505
कुल लाभांवित बच्चे व महिलाएं एवं किशोरी 19080
बारां।कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को पोषण की दोगुनी खुराक देने की आवश्यकता है, लेकिन यह सिलसिला आगे जारी रहेगा या नहीं, जिले में इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के स्थानीय अधिकारी दोगुना पोषाहार देने की व्यवस्था जारी रखने के पक्ष में है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशालय भेज दिए गए हंै। यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर मौजूद अतिरिक्त पोषाहार स्टॉक से दोगुना पोषाहार का यथावत वितरण किया जा रहा है। इस व्यवस्था से करीब 19 हजार बच्चे व गर्भवती, धात्री माताएं एवं किशोरी बालिकाएं लाभांवित हो रही है।
ऎसे हुई थी शुरूआत
वर्ष 2012 के अंतिम कुछ महीनों में जिले में कुपोषण से आदिवासी सहरिया जनजाति के बच्चों की मृत्यु के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार के प्रमुख शासन सचिव समेत विभिन्न विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी किशनगंज-शाहाबाद क्षेत्र में पहुंचे थे। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आदेश जारी फरवरी 2013 तक के लिए यह व्यवस्था शुरू की थी। इसके बाद पुन: अवधि बढ़ाकर इसे फरवरी 2014 तक कर दिया गया था।
यह अवधि समाप्त होने के बाद इस व्यवस्था को जारी रखने अथवा बंद करने को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं किया गया है।
इनकी खुराक पर भी संकट!
जिले के आदिवासी सहरिया क्षेत्र में एनिमिक (खून की कमी) बच्चों के पैदा होने तथा उनके जन्म से ही एनिमिक रहने के कारण कुपोषण की चपेट में आने का अंदेशा रहता है। सहरिया जनजाति की महिलाओं में भी खून की कमी रहने के मामले सामने आते रहे हैं।
ऎसे ही हालातों को देखते हुए सरकार की ओर से सहरिया परिवारों की गर्भवती धात्री माताओं को दोगुनी मात्रा पोषाहार उपलब्ध कराने की व्यवस्था लागू की थी। इसके अलावा में व किशोरी बालिकाओं को सिंगल मात्रा में पोषाहार देने की व्यवस्था थी। पूर्व में एक केन्द्र पर दो किशोरी बालिकाओं के लिए यह व्यवस्था थी।
भेज रखे हंै प्रस्ताव
जिले में कुपोषित, अतिकुपोषित बच्चों, गर्भवती धात्री महिलाओं को दोगुना व किशोरी बालिकाओं को फरवरी 2014 तक ही पोषाहार वितरण किए जाने के आदेश थे, लेकिन अभी भी इस व्यवस्था को बंद नहीं किया गया है। इसकी अवधि बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजे हुए हंै।
रामदयाल मीणाउपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास
फैक्ट फाइल
इन्हें मिल रहा है लाभ
छह माह से 3 वर्ष के बच्चे कुपोषित अतिकुपोषित 8192
तीन वर्ष से 6 वर्ष के बच्चे कुपोषित अतिकुपोषित 5383
गर्भवती धात्रीमाता व सहरिया किशोरी बालिकाएं 5505
कुल लाभांवित बच्चे व महिलाएं एवं किशोरी 19080
No comments:
Post a Comment